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 रक्षा लेखा महानियंत्रक कार्यालय की दिनांक 22 सितम्बर, 2025 को आयोजित राजभाषा कार्यान्वयन समिति की तिमाही बैठक का कार्यवृत्त का प्रेषण।
 रक्षा लेखा महानियंत्रक कार्यालय की दिनांक 22 सितम्बर, 2025 को आयोजित राजभाषा कार्यान्वयन समिति की तिमाही बैठक का कार्यवृत्त का प्रेषण। Defence Accounts Department Day - 2025
Defence Accounts Department Day - 2025 Assumption of charge to the post of Spl. CGDA -Sh. Vishvajit Sahay, IDAS on 12-09-2025
Assumption of charge to the post of Spl. CGDA -Sh. Vishvajit Sahay, IDAS on 12-09-2025 रक्षा लेखा महानियंत्रक का संदेश
रक्षा लेखा महानियंत्रक का संदेश  Shri Raj Kumar Arora, IDAS has assumed the charge of Controller General of Defence Accounts w.e.f 01.08.2025 (FN).
Shri Raj Kumar Arora, IDAS has assumed the charge of Controller General of Defence Accounts w.e.f 01.08.2025 (FN). Advisory on Phishing Email Incident and Security Measures.
Advisory on Phishing Email Incident and Security Measures. URGENT NOTICE - Beware of Fake Message on Social Media
URGENT NOTICE - Beware of Fake Message on Social Media Conducting of SAS Examination in the Defence Accounts Department: Modification in the SAS Rules 2019.
Conducting of SAS Examination in the Defence Accounts Department: Modification in the SAS Rules 2019.रक्षा लेखा विभाग (र .ले .वि .) जिसका इतिहास 250 वर्षों से भी अधिक पुराना है, भारत सरकार के अधीन सबसे पुराने विभागों में से एक है । इसका उदगम ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन मिलिटरी पे मास्टर्स के रूप में हुआ था ।
जनवरी, 1750 में फोर्ट विलियम्स, कलकत्ता में गैरिसन के भुगतान के लिए प्रथम पे मास्टर की नियुक्ति की गई थी । युद्ध क्षेत्र में तैनात फौज का भुगतान कमिशरी द्वारा किया जाता था । 1776 में लेखाओं के नियमन के लिए एक कमिशरी जनरल की नियुक्ति की गई थी ।
1788 में कमिशरी जनरल का पदनाम बदल कर मिलिटरी ऑडीटर जनरल कर दिया गया जो सभी मिलिटरी संवितरणों पर नियंत्रण रखता था ।
1858 में जब ब्रिटिश राज ने भारत का प्रशासन अपने हाथों में लिया तो उस समय बंगाल, मद्रास और बम्बई में मिलिटरी महालेखापाल तैनात थे ।
महालेखापाल, मिलिटरी विभाग के कार्यालय का सृजन अप्रैल, 1864 में किया गया था । 1865 में सरकार ने उसके पद को मिलिटरी लेखा विभाग के प्रमुख के रूप में मान्यता प्रदान की । 1922 में युद्ध के पश्चात सैन्य महालेखापाल कार्यालय की पुनः संरचना की गई तथा 01 सैन्य महालेखापाल, 02 उप सैन्य महालेखापाल, 02 सैन्य सहायक महालेखापाल तथा 100 लेखापालों तथा लिपिकों को तैनात किया गया । तत्कालीन सैन्य महालेखापाल कार्यालय में 08 विभाग नामतः अभिलेख, प्रशासन, लेखा परीक्षा, लेखा, आंकलन, वेतन, विदेशी दावे तथा निरीक्षण हुआ करते थे ।
01अक्तूबर, 1951 को विभाग का नाम बदल कर रक्षा लेखा विभाग और विभाग प्रमुख का पदनाम रक्षा लेखा महानियंत्रक कर दिया गया । स्वतंत्रता के तीन दशकों के बाद तक भी रक्षा लेखा विभाग ने वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य किया । अगस्त, 1983 से रक्षा मंत्रालय में एकीकृत वित्तीय सलाहकार योजना के प्रारंभ होने पर रक्षा लेखा विभाग रक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आ गया ।
	1747  	'आर्टिकल्स ऑफ वार' द्वारा ब्रिटिश सरकार को मिलिटरी - पे - मास्टर नियुक्त करने का अधिकार दिया गया ।
	1760 	कमिसरी जनरल पद का सृजन
	1766 	कमिसरी जनरल तथा मिलिटरी पे - मास्टर के दोनों पदों का विलय करके पे - मास्टर जनरल पद का सृजन किया गया ।
	1773 	सैनिक भंडारों, ठेकों के नियंत्रण और लेखापरीक्षा करने तथा सेना प्रभारों के सभी बिलों को प्रमाणित करने के लिए कमिसरी जनरल का पद फिर से बना दिया गया । 
	1788 	कमिसरी जनरल का नाम बदलकर आडिटर जनरल ऑफ मिलिटरी अकाउंट्स बना दिया गया ।	
	1860 	संपूर्ण भारत के लिए एक प्रमुख सहित सेना वित्त विभाग बनाया गया । प्रमुख के अधीन प्रत्येक रेजीडेंसी में एक सेना वित्तीय नियंत्रक कार्य करता था और प्रत्येक नियंत्रक के अधीन परीक्षक व संकलनकर्ता कार्य करते थे । महा लेखाकार(महा लेखा परीक्षक) व प्रमुख सेना वित्तीय विभाग को मिलाकर लेखा परीक्षक बोर्ड़ गठित किया गया ।	
	1864 	प्रमुख सेना वित्त विभाग के स्थान पर महा लेखाकार सैन्य विभाग नियुक्त किए गए ।
	
	1865 	महा लेखाकार सैन्य विभाग का नाम बदलकर सैन्य व्यय महानियंत्रक कर दिया गया ।
		1871 	सैन्य व्यय महानियंत्रक का नाम बदलकर सैन्य व्यय महा लेखाकार कर दिया गया ।
		1906 	आर्मी और मिलिटरी सप्लाई सैन्य विभाग के स्थान पर दो अलग-अलग विभागों के गठन के परिणामस्वरूप सैन्य लेखा विभाग को वित्त विभाग के अधीन कर दिया गया । मिलिटरी महा लेखाकार की अध्यक्षता में मिलिटरी वित्त शाखा का सृजन किया गया ।
		
		1 Oct. 1913सैन्य वित्त शाखा के स्थान पर वित्तीय सलाहकार सैन्य वित्त बनाया गया । 		
		1920 	सैन्य व्यय के लेखांकन संबंधी कार्य को नियंत्रक व महा लेखा परीक्षक से सैन्य महा लेखाकार को अंतरित किया गया । नियंत्रक और महा लेखा परीक्षक की भूमिका केवल सैन्य लेखाओं की लेखापरीक्षा तक सीमित हो गई ।
				मुम्बई में मेरीन एकाउंट्स नियंत्रक, जो अब रक्षा लेखा नियंत्रक(नौसेना) है, का गठन किया गया। अंबाला में रॉयल एयरफोर्स एकांउट्स नियंत्रक, जो अब रक्षा लेखा नियंत्रक(वायु सेना) है, का गठन किया गया ।
				मिलिटरी वर्क्स लेखांकन कार्य को विभिन्न मिलिटरी एकाउंट्स नियंत्रकों में विकेन्द्रीकृत कर दिया गया । प्रथम विश्व युद्व के बाद सेना को चार कमानों में पुनर्गठित किया गया, प्रत्येक कमान का प्रमुख नियंत्रक को बनाया गया । 
		
		1929 	पेंशन का कार्य जो अब तक नियंत्रकों द्वारा किया जाता था, केन्द्रीकृत करने पर विचार किया गया और परिणामस्वरूप मिलिटरी एकाउंटस नियंत्रक(पेंशन) की लाहौर में स्थापना की गई ।
				
		1931 	आंकड़ा संसाधन के लिए होलरिथ मशीनों की स्थापना की गई।		
		1942 	संपूर्ण सेना के पुनर्गठन के फलस्वरूप मिलिटरी एकाउंटस विभाग का सी एम ए नार्थ वेस्टर्न कमान, रावलपिंडी, सी एम ए, ईस्टर्न कमान, रॉची, सी एम ए सदर्न कमान, पुणे, सी एम ए सेन्ट्रल कमान, मेरठ, सी एम ए(पेंशन) लाहौर तथा एफ सी एम ए पुणे बनाए जाने के साथ पुनर्गठन किया गया जिनका कार्य सभी फील्ड फार्मेंशनों के लेखांकन और 		
		1950 	एफ सी एम ए (अन्य श्रेणी) अंबाला से सिकन्दराबाद स्थानांतरित हो गया ।		
		1951 	Fund work transferred from Eastern Command to Hollerith Section, Meerut.
		
	1 Oct. 1951 	निधि का कार्य ईस्टर्न कमान से होलरिथ अनुभाग मेरठ स्थानांतरित किया गया । 01 अक्टूबर, 1951 को मिलिटरी एकाउंटस विभाग का नाम बदलकर रक्षा लेखा विभाग कर दिया गया तथा मिलिटरी एकाउंटस जनरल का नाम बदलकर रक्षा लेखा महानियंत्रक कर दिया गया ।	
	1969 	मेरठ में पहला आई बी एम-1401 कंप्यूटर स्थापित किया गया ।	
	
	1978 	मेरठ में राष्ट्रीय प्रबंधन एवं लेखा संस्थान की स्थापना की गई ।
	1983 	रक्षा मंत्रालय में एकीकृत वित्तीय सलाहकार योजना प्रारम्भ की गई । वित्तीय सलाहकार(रक्षा सेवाएं) तथा रक्षा लेखा विभाग रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गए ।	
	1984 	माइक्रोप्रोसेर्स की उपलब्धता के साथ, अफसरों व अन्य रैंकों के वेतन एवं निधि के लेखाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम प्रारंभ हुए ।	
	1991 	मेरठ, पुणे, बेंगलूर और कोलकाता में क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की गई । 	
	1994 	लेखा नियंत्रक(फैक्ट्री) का नाम बदलकर वित्त एवं लेखा नियंत्रक(फैक्ट्री) कर दिया गया । वायु सेना तथा नौसेना के लिए एकीकृत वित्तीय सलाहकार प्रणाली का आरंभ हुआ ।	
	1995 	सीमा सड़क व सेना मुख्यालयों में एकीकृत वित्तीय सलाहकार प्रणाली का आरंभ किया गया । सेना नियंत्रकों का पुनर्गठन किया गया तथा अन्य रैंकों के कार्यकारी नियंत्रक समाप्त कर दिए गए उनके कार्यों को संबंधित क्षेत्रीय नियंत्रकों को दे दिया गया ।	
	1996 	प्रशिक्षण एवं संगोष्ठी केन्द्र(प्रशिक्षण प्रभाग) रक्षा लेखा महानियंत्रक कार्यालय बरार स्क्वायर, नई दिल्ली का उद्घाटन ।	
	2009 	रक्षा लेखा महानियंत्रक मुख्यालय भवन उलन बटार रोड, पालम दिल्ली छावनी का उद्घाटन ।	
	2015 	रक्षा लेखा महानियंत्रक मुख्यालय भवन उलन बटार रोड, पालम दिल्ली छावनी को  आई एस ओ-9001:2008 से प्रमाणित किया गया । 
डिज़ाइन, विकास और अनुरक्षण  : रक्षा लेखा महानियंत्रक, उलन बटार रोड,  पालम, दिल्ली छावनी-110010
 उत्तम दृश्य : पिक्सल 1024*768